Jottings of an idle soul


हर दरिया मजबूर है बहने के लिए
कौन आया है यहाँ सदा रहने के लिए

दिल और दर्द का रिश्ता गहरा है
दोनों बने हैं एक दूसरे को सहने के लिए

तेरे दामन से उलझा तो पता चला
कभी कांटे भी होते हैं महकने के लिए

इस पुरानी मय की तासीर तो देखो
पीता हूँ अब इसे संभलने के लिए

जब लगा मुझे भूल गए हो तुम
ख़ुद को मजबूर किया सरकने के लिए

उसकी याद में मैं ने रेत पर कुछ लिखा
फिर मिटा दिया उस का मान रखने के लिए

ओस की बूँद पर सूरज की किरन
मीलों की दूरी कुछ नहीं गले लगने के लिए

तुम्हारी आँखों में झाँका तो देखा
लम्हा बेताब है सदियों से लिपटने के लिए

जब ख़ुदा ऊब गया अकेलेपन से अपने
उसने ख़ुदाई बनाई तन्हाई से लड़ने के लिए

तेरी राह तेरे लिए मेरी राह मेरे लिए
यह समझ ज़रूरी है साथ चलने के लिए

रात के बाद दिन दिन के बाद रात
सदियां चाहिए इत्ती सी बात समझने के लिए

सब उलझे हैं दोज़ख और जन्नत की फ़िक्र में
हम उचक रहे हैं ख़ुदा का दीदार करने के लिए

कुछ नया कहना चाहा फिर सोचा
कुछ बचा भी है दुनिया में नया कहने के लिए

सीधी रेखा इकाई गोल रेखा सिफ़र
इतने निशां काफ़ी हैं दुनिया बयां करने के लिए

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